( शायरी # 3 )
ग़ज़ल ~ 1
तू ख्वाब है, मैं ख्याल हूँ, तू है संग-दिल तो तराश दूँ॰
तुझे चाँद-तारों में ले चलूँ, तुझे चाँदनी का लिबास दूँ॰
यूँ मेरी नज़र से नज़र मिला, कि मेरी नज़र में नज़र भी आ.
तुझे आज तक ये खबर नहीं, मैं तेरी नज़र के ही पास हूँ.
तेरी जुस्तजू, तेरी आरजू, मेरे दिल में तू, मेरे रूबरू.
कभी घट गयी, कभी बढ़ गयी, जो बुझी नहीं, वही प्यास हूँ.
जिसे चाहा था, उसे माँगा था, वो मिला नहीं, तो गिला नहीं.
जो भटक रहा है, इधर-उधर, उसी हमसफ़र की, तलाश हूँ.
तू भी कम नहीं, कोई ग़म नहीं, मेरी आँख "ताहिर", नम नहीं.
ये ख़ुशी के मोती, उभर रहे, तुझे वहम है, मैं उदास हूँ.
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दिल में हूँ, नज़रों से बहुत दूर नहीं हूँ.
ग़म के गलीचों में भी, रंजूर नहीं हूँ.
महफिलों को छोड़ना, मेरा नसीब था.
मशरूफ हूँ ज़रूर, पर मगरूर नहीं हूँ.
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तेरी हसरत, मेरी उलफ़त, का सबब बन बैठी.
मेरी फितरत, तेरी नफरत, का सबब बन बैठी.
मैं भी शैदाई था तेरा, मगर था मुफलिस भी.
मेरी ग़ुरबत, मेरी तुरबत, का सबब बन बैठी.
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गलियों में भौंकने वाले, दरबार सजाये बैठे हैं.
दर-दर फिरने वाले, व्यापार जमाये बैठे हैं.
थी जिनके पास, खुद्दारी, ज़मीर की दौलत.
तू ख्वाब है, मैं ख्याल हूँ, तू है संग-दिल तो तराश दूँ॰
तुझे चाँद-तारों में ले चलूँ, तुझे चाँदनी का लिबास दूँ॰
यूँ मेरी नज़र से नज़र मिला, कि मेरी नज़र में नज़र भी आ.
तुझे आज तक ये खबर नहीं, मैं तेरी नज़र के ही पास हूँ.
तेरी जुस्तजू, तेरी आरजू, मेरे दिल में तू, मेरे रूबरू.
कभी घट गयी, कभी बढ़ गयी, जो बुझी नहीं, वही प्यास हूँ.
जिसे चाहा था, उसे माँगा था, वो मिला नहीं, तो गिला नहीं.
जो भटक रहा है, इधर-उधर, उसी हमसफ़र की, तलाश हूँ.
तू भी कम नहीं, कोई ग़म नहीं, मेरी आँख "ताहिर", नम नहीं.
ये ख़ुशी के मोती, उभर रहे, तुझे वहम है, मैं उदास हूँ.
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ग़म के गलीचों में भी, रंजूर नहीं हूँ.
महफिलों को छोड़ना, मेरा नसीब था.
मशरूफ हूँ ज़रूर, पर मगरूर नहीं हूँ.
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तेरी हसरत, मेरी उलफ़त, का सबब बन बैठी.
मेरी फितरत, तेरी नफरत, का सबब बन बैठी.
मैं भी शैदाई था तेरा, मगर था मुफलिस भी.
मेरी ग़ुरबत, मेरी तुरबत, का सबब बन बैठी.
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कितने अहमक थे, घर-वार गँवाए बैठे हैं.
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A marvellous piece... Your effort to quote Mr. Tahir is just a drop to the attention of the readers that genius deserves.
ReplyDeleteThankyou Himanshu ji. :)
DeleteAm happy that you liked the collection. There may be more to come in the future.